किताब के बारे में :
झारखंड आंदोलन पर वीर भारत तलवार द्वारा सहेज कर रखे गए दस्तावेज़ों का यह संकलन उन्हीं द्वारा सम्पादित है। इन दस्तावेजों से गुजरते हुए पाठक उन पार्टियों के चारित्रिक वैषम्य को देखकर हैरान रह जाएंगे जिन्होंने लम्बे समय तक झारखंड आंदोलन के नाम पर संघर्ष किया। झारखंड मुक्ति संग्राम से जुड़े प्रमुख संगठन, जिनसे वहाँ की जनता को अपार आशाएँ रहीं, सत्ता प्राप्ति के बाद वही सब कुछ करते रहे जो सदियों से होता चला आया है। न प्राकृतिक संसाधनों का अवैध दोहन रुका, न वहाँ के मूल निवासियों के कठिन जीवन में कहीं कोई छोटी सी आशा की किरण जगी। असंगठित मजदूरों को संगठित करने, लघु तथा कुटीर उद्योग धंधों की स्थापना, जंगली उत्पादन पर आधारित उद्योग एवं शिक्षा को निःशुल्क एवं अनिवार्य बनाने और निजी उद्योगों को स्थानीय जरूरतों से जोड़ने जैसी तमाम घोषणाएँ स्वतंत्र राज्य बनने और सत्ता सुख मिलते ही भुला दी गईं। झारखंड और आदिवासी आंदोलन के नाम पर राजनीति करने वाले इन सारे संगठनों के वैचारिक दिवालियेपन ने वहाँ की गरीब जनता के दुःख दर्द को कम करने की बजाय बढ़ाया ही है।
वीर भारत तलवार ने झारखंड आंदोलन के समय के इन दस्तावेजों को इसी आशा के साथ संग्रहीत किया है कि आगामी पीढ़ी इन्हें पढ़कर इस भूमि से जुड़ी समस्याओं और राजनीतिक पतन को रेखांकित कर सके और संभवतः यहीं से उम्मीद की कोई नई राह भी निकले।
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