किताब के बारे में : यह एक साधारण से दिखने वाली महिला मीना राय की असाधारण कहानी है . मीना जी जो उन्नीस सौ अस्सी के दशक में शादी होकर अपने ठेठ गंवई परिवेश से निकलकर एक बड़े शहर इलाहाबाद में आ गईं . शादी के बाद उन्होंने धीरे -धीरे अपनी जगह बनाई . अपने परिवार , कामकाज और विचार के साथ जुड़कर एक सार्थक जीवन जिया . यह किताब उनकी निजी जिंदगी के दस्तावेज के साथ -साथ 1980 के दशक के इलाहाबाद के प्रगतिशील सांस्कृतिक , सामाजिक और राजनैतिक आन्दोलन और हलचलों का भी बेबाकी के साथ लिखा गया दस्तावेज है
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समर न जीते कोय | मीना राय | 2025
₹300.00 – ₹600.00
- लेखिका – मीना राय
- पृष्ठ : 172 , साइज़ : 8.25 इंच गुना 8.25 कागज़ : 70 gsm, नेचुरल शेड, साइज़: डिमाई
cover | paperback, hardcover |
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