बिगड़ते हुए बनने की ज़रूरत | ‘पहले चन्द्रकला जोशी -शेखर जोशी स्मृति व्याख्यान की किताब | शेखर पाठक | 2024

50.00

  • लेखक : शेखर पाठक
  • पृष्ठ : 59, कागज़ : 70 gsm, नेचुरल शेड, साइज़: डिमाई
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यह स्मृति व्याख्यान हिमालयविद , इतिहासकार और घुमक्कड़ शेखर पाठक ने 4 अक्टूबर 2024 को उत्तराखंड की तराई में स्थित नानकमत्ता पब्लिक स्कूल में एक आयोजन में दिया था। इस व्याख्यान में प्रो पाठक बच्चों को पहले बिगड़ने और फिर उनके बनने की बात पर जोर देते हैं। बिगड़ने से उनका आशय बच्चों को आज़ाद बनाने यानी अपने निर्णय खुद लेने की तरफ मोड़ने से है। और बनने के क्रम में वे देश -विदेश के उन 12 लोगों की कहानियाँ रोचक अंदाज़ में साझा करते हैं जिन्होंने तमाम अवरोधों के बावजूद इस दुनिया को किसी न किसी तरह सुन्दर और मूलयवान बनाया। ये प्रेरक व्यक्तित्व हैं – विलियम मूरक्राफ्ट , एलेक्सजेंडर सोमा द कोरोस, नैन सिंह रावत , जयानंद भारती, राहुल सांकृत्यायन, सरला बहन, शेरपा तेनजिंग नोर्गे, बिस्मिल्लाह खां, नारायण सिंह थापा, शैलेश मटियानी, खड्ग सिंह और वल्दिया और कबूतरी देवी।

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