‘एका’ अवध के उस बिसरा दिए गए किसान आंदोलन की गाथा है जो बेदखली के अमानवीय कानून के प्रतिरोध में प्रारम्भ हुआ था। 1920 से 1928 की कालावधि के दौरान पूरे अवध प्रान्त के किसानों को ‘एका’ आन्दोलन के ज़रिये एकत्र करने का श्रेय जाता है बाबा रामचंदर और क्रांतिवीर मदारी पासी को। इस आयोजन में इन्हें झिंगुरी सिंह, सहदेव सिंह, बृजपाल सिंह, राम गुलाम पासी, अमोल शर्मा, झिनकू सिंह, देवनाथ त्रिपाठी आदि साथियों का अनन्य सहयोग मिला था। यह किताब इस पूरे कालखण्ड के दौरान घटे तमाम ऐतिहासिक प्रसंगों और उस दौर की सहेजने योग्य यादों के पुनर्स्मरण का एक शानदार प्रयास है।
राजीव कुमार पाल की इस महत्वपूर्ण किताब का आवरण जाने माने चित्रकार सोमनाथ होर के प्रसिद्ध चित्र ‘खुली बैठक: तेभागा डायरी’ के रेखांकन पर आधारित है।
Reviews
There are no reviews yet.