दलित एक्टिविस्ट भंवर मेघवंशी की यह आत्मकथा 2019 की बेस्टसेलर किताबों में शामिल है। महज़ 25 दिनों के भीतर इसका पहला संस्करण समाप्त हो गया था। भंवर मेघवंशी किशोरावस्था में आर.एस.एस. से जुड़े और पाँच वर्ष बाद अलग होकर मजदूरों और दलितों की बेहतरी के लिए प्रयासरत संगठनों के साथ पूर्णकालिक रूप से कार्य करते रहे।
इस आत्मकथा के जरिये भंवर मेघवंशी अपने पाठकों को न सिर्फ़ अपनी जीवन यात्रा पर ले जाते हैं बल्कि आर.एस.एस. की कार्यप्रणाली और उसकी उन आंतरिक गतिविधियों को भी सार्वजनिक करते हैं जिनके दम पर आज यह संगठन सत्ता के शीर्ष पर मौजूद है।
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