यह आलेख मूल रूप से नेपाल में अन्तरराष्ट्रीय बौद्ध सम्मेलन के समय डॉ. अम्बेडकर द्वारा दिया गया भाषण है। बाद में यह पुस्तिका के रूप में प्रकाशित हुआ। इसमें उन्होंने बुद्ध तथा कार्ल मार्क्स के दर्शन तथा व्यवहार के बीच की असमानताओं तथा समानताओं की चर्चा की है। वे बुद्ध को हिंसा से मुक्त साम्यवादी मानते हैं तथा हिंसा तथा सर्वहारा की तानाशाही के कारण मार्क्सवाद की आलोचना करते हैं। वे मार्क्सवादियों को बौद्ध धर्म से सीखने की बात करते हैं और साम्यवाद के आदर्शों को उचित मानते हुए बुद्ध और मार्क्स के बीच साध्य व साधन के आधार पर तुलना करते हैं। यह लेख सिद्ध करता है कि डॉ. आंबेडकर मानव कल्याण के लिए समतावादी मूल्यों के पक्षधर थे, इसीलिए वे बुद्ध व मार्क्स को कसौटी पर परखते हैं।
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विमर्श
बुद्ध अथवा कार्ल मार्क्स – डॉ भीम राव अम्बेडकर (विमर्श) 2020 | पेपरबैक
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- लेखक : डॉ. भीम राव अंबेडकर
- पृष्ठ : 48, कागज़ : 70 GSM नेचुरल शेड, साइज़ : डिमाई
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