2019 में संपन्न हुआ कुंभ अर्धकुम्भ था जबकि सत्ता ने धर्म के पाखंड को विस्तार देते हुए उसे पूर्णकुम्भ बल्कि दिव्य कुम्भ की तरह प्रचारित किया। 96 पृष्ठों की यह किताब धर्म और सत्ता के पाखंड की अपनी खोजी रपटों के माध्यम से इस गठजोड़ को हमारे सामने लाती है। परिशिष्ट में तीन कवियों – वीरेन डंगवाल, राजेंद्र कुमार और हरीश चन्द्र पांडे की कविताएं और इलाहाबाद के नामकरण पर कवि बोधिसत्व की टिप्पणी इसे और संग्रहणीय बनाते हैं।
रपट
दिव्य कुंभ 2019, अथ पाखंड गाथा – के. के. पाण्डेय (रपट) 2021 | पेपरबैक
₹120.00
- संपादक : के. के. पाण्डेय
- पृष्ठ: 96, काग़ज़ : 70 gsm नेचुरल शेड, साइज़: डिमाई
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