वीरेन डंगवाल हमारे समय के शायद इकलौते ऐसे कवि हैं जिनकी पैठ कविता के आम पाठक तक भी उतनी ही है जितना खास पाठकों/आलोचकों तक। वीरेन दा आज भले ही सशरीर इस दुनिया में नहीं हैं किन्तु उनकी कविताएँ उसी जीवन्तता और प्रासंगिकता से उनके पाठकों और मित्रों के बीच मौजूद हैं।
किसी स्तंभकार ने उनका मूल्यांकन करते हुए कितनी खूबसूरत टिप्पणी की थी कि “वीरेन डंगवाल की कविताओं में अनुभव की उदात्तता है तो रोज़मर्रा की मामूली चीज़ों के प्रति गहरा लगाव भी। ग्रीष्म की तेजस्विता है तो शरद की ऊष्मा भी।”
इस संग्रह में वीरेन डंगवाल की समस्त प्रकाशित/अप्रकाशित कविताओं के अलावा उनके द्वारा किए गए नाज़िम हिकमत की 40 कविताओं के अनुवाद भी संग्रहीत हैं। ‘कविता वीरेन‘ काव्य प्रेमियों के लिए एक सहेजने योग्य धरोहर है।
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