नवारुण के बारे में

नवारुण की बुनियाद रौशन ख्याल दोस्तों की मदद से 2015 में रखी गई। मूल आईडिया यह था कि ये नए विचारों को प्रकाशित करने का साझा प्रयास बन सके। बिना किसी पूँजी से शुरू हुआ यह उपक्रम अपने इसी विचार के कारण अब तक पचास से अधिक किताबें प्रकाशित कर चुका है और करीब 1 लाख प्रतियाँ पूरे देश के पाठकों तक पहुँचा चुका है। नवारुण हिंदी प्रकाशन में पेशेवर तौर -तरीके और लेखक -प्रकाशक के बीच पारदर्शी संबंधों को बनाने के लिए पूरी कोशिश करता है। यह नए विचारों को तरजीह देने वाला प्रकाशन है।

प्रकाशक के बारे में

मॉस कम्युनिकेशन में प्रशिक्षित संजय जोशी की पढ़ाई इलाहाबाद और दिल्ली में हुई। वे 2015 से नवारुण को बनाने और इसके जरिये नई किताबों की खोज और उन्हें आम लोगों तक पहुंचाने की जुगत में लगे हैं। अपनी किताबों को लोकप्रिय बनाने के लिए वे अक्सर अपनी गाड़ी की बड़ी डिग्गी में खूब सारी किताबें डालकर नई दिशाओं में घुमंतू पुस्तक मेले भी आयोजित करते हैं। सिनेमा दिखाने और किताबें तैयार करने के बाद बचे समय में वे अक्सर किसी नई रेसेपी का संधान भी करते पाए जाते हैं।
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